Thursday, October 13, 2011

हक्कानी नेटवर्क - पाकिस्तान के सर पर लटकती तलवार

आज अमेरिका में पाकिस्तान संबधित नीतियो का निर्धारण करने वाले महत्वपूर्ण व्यक्तियों माईक मलेन, जनरल पेट्रायस, हिलेरी क्लिंटन, कैमरून मंटर ने एक सुर में पाकिस्तान पर हक्कानी नेटवर्क से सांठगांठ रखने का आरोप लगाना शुरू कर दिया है।  इस सांठगांठ को खत्म कर हक्कानी नेटवर्क को खत्म करने या गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी जा रही है। आज तक इन संबधो से इंकार करता आया पाकिस्तान अब खुलेआम पर कूटनीतिक शब्दो में यह कह रहा है कि हक्कानी समूह पाकिस्तान की सर जमीं के बेटे हैं। और अफ़गानिस्तान के भविष्य को तय करते समय हक्कानी समूह के हितो को अनदेखा नही करना चाहिये।  वह यह भी कह रहा है कि अफ़गानिस्तान की जंग शांती प्रक्रिया और बातचीत से खत्म होगी जंग से नही।


 इसके पहले भी अमेरिका पाकिस्तान मे स्थित हक्कानी नेटवर्क से वाकिफ़ था और हक्कानी लड़ाको को सोवियत संघ के खिलाफ़ लड़ने की ट्रेनिंग और हथियार सीआईए ने ही उपलब्ध करवाये थे। पर 9/11  के बाद अफ़गानिस्तान में अमेरिका के हमले के बाद वह मुल्ला उमर के साथ मिल अमेरिकी सेना के खिलाफ़ जंग में शामिल हो गया।  जलालुद्दीन हक्कानी अब अपना कार्यभार अपने बेटे सिराज्जुद्दीन हक्कानी को सौप चुके हैं। सिराज्जुद्दीन हक्कानी के नेत्रुत्व में हक्कानी नेटवर्क के अमेरिका के नाक में दम कर दिया है। हालिया काबुल के अमेरिकी दूतावास पर हुये हमले और जेलब्रेक समेत अनेक घटनाओं में अमेरिका को भारी जान माल क्षती हुयी है।


ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान मे आईएसआई की पनाहगाह में पाये जाने के बाद अमेरिका ने आई एस आई  आपरेटिव्स की जासूसी शुरू की तो यह सनसनीखेज सच सामने आया कि हक्कानी नेटवर्क के हमलो की सारी योजना आईएसआई  बना रही थी। काबुल में हुये हक्कानी नेटवर्क के हमलो की योजना भी न केवल आईएसआई ने बनाई थी बल्कि हमले के दौरान आत्मघाती हमलावरों से आईएसआई के वरिष्ठ अधिकारी  संपर्क में थे और उन्हे पल पल की वे सूचनाएं दे रहे थे जो कि उन्हे अमेरिका से प्राप्त हो रही थी।  इसके बाद जब पाकिस्तान को पेशावर के नजदीक सड़क मार्ग से जा रहे सिराज्जुद्दीन हक्कानी के बेटे नसीरुद्दीन हक्कानी को पकड़ने की सूचना अमेरिका ने पाकिस्तान को दी। तब पाक सेना के जनरल स्तर के अफ़सर उसे अपने साथ ले सुरक्षित ठिकाने तक पहुंचा आये, यह पूरी घटना अमेरिकी अधिकारी सैटेलाईट के माध्यम से देख रहे थे। इन सब घटनाओं का अमेरिका ने यह निष्कर्ष निकाला है कि पाकिस्तान अमेरिका को अफ़गानिस्तान में रोके रखना चाहता है। और उसके वहां से निकलने की सूरत दो ही शर्त पर संभव है। या तो पाकिस्तान अपनी हरकतों और दोगलेपन से बाज आये या अमेरिका अफ़गानिस्तान को तालिबान के हाथो सौप कर उसे पाकिस्तान के एक स्वायत्त राज्य की तरह बना दे।


दोनो ही सूरते अमेरिका को नामंजूर हैं,  अफ़गानिस्तान को न केवल वह मध्यपूर्व एशिया मे मौजूद पूर्व सोवियत देशो में स्थित तेल पर कब्जा जमाने के अपने बेस के रूप में इस्तेमाल करना चाहता है बल्कि भविष्य मे 9/11 की तर्ज पर हो सकने वाले हमलों के लिये तालिबान को खुला भी नही छोड़ सकता है। ऐसे में एकमात्र विकल्प पाकिस्तान के उपर हमला ही बचता है।


दूसरी ओर पाकिस्तान भी फ़ंसा हुआ है, अफ़गानिस्तान पर कब्जा जमाने का उसका दशको पुराना सपना भी अब टूट चुका है। और अपनी दोगली चालो में फ़ंस वह तालिबान के एक हिस्से तहरीक ए तालिबान के कहर का शिकार भी हो रहा है। वहीं दूसरी ओर उसकी अर्थव्यवस्था बरबाद है और वह और उसकी फ़ौज अमेरिका के डालरों पर ही निर्भर है। ऐसे में हक्कानी नेटवर्क से संबंध तोड़ उसे खत्म करना ही आसान और कम खतरनाक विकल्प नजर आता है।


लेकिन इससे एक और विकराल समस्या खड़ी हो जायेगी। निश्चित तौर पर हक्कानी समूह पर हमला हक्कानियों की बंदूके पाकिस्तान की तरफ़ मोड़ देगा। हक्कानी समूह से आधी ताकत वाले तहरीक ए तालीबान ने जब पाकिस्तान की यह दुर्गती की हुयी है तो हक्कानियों का सामना करना पाकिस्तानी नेताओ और जनरलों को सपने में भी नजर नही आता है। यह इतना खतरनाक है कि इस्लाम की रक्षा की शपथ लेकर फ़ौज मे शामिल हुये सैनिक और अफ़सर जिनको खुद अमेरिका और पाकिस्तान ने जेहाद की ट्रेनिंग और ब्रेनवाशिंग की हुयी है और जो इस जंग में आज तक हक्कानी और मुल्ला उमर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस्लाम के तथा्कथित दुश्मनों से लड़े हैं, आसानी से अपने ही आकाओं के खिलाफ़ हो सकते हैं। जिस देश का सैनिक संविधान की नही इस्लाम की रक्षा का हलफ़ उठा कर भर्ती हुआ हो वह इस्लाम के नाम पर ही देश के विमानो को उड़ाने मे भी नही हिचकिचाता। नागरिको और नेताओ के तो कहने क्या, सलमान तासीर की हत्या उनके बाडी गार्ड ने सिर्फ़ इसलिये कर दी थी कि उसके मौलवी ने फ़तवा जारी कर उसे कहा था कि सलमान तासीर अल्लाह की निंदा का दोषी है और उन्हे मारने पर बाडीगार्ड को अल्लाह जन्नत अता फ़रमायेंगे।


इस दोराहे पर खड़ा पाकिस्तान कौन सी राह अपना रहा है यह अगले लेख में।

2 comments:

  1. महत्वपूर्ण प्रयास है आपका. हक्कानी नेटवर्क अब लादेन की मौत के बाद अमेरिका द्वारा पाकिस्तान पर दबाव बनाये रखने का माध्यम मात्र न बना रह जाये...

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